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"प्यार की दास्तान"

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कभी धूल जमी थी उन अधरों पर हमने उसे हटाया था  कभी एक जगहा मिलकर हमने काफी समय बिताया था। थमि हुई थी सांसें उसकी हौसला भी हमने बढाया था  ना आता था इक पन्ना उसको प्यार हमने उसे सिखाया था।  सिकुड़ा हुई थी पलकें उसकी हमने उन्हें झपकाया था  मत पूछो उस सांवले रंग को हमने ही गोरा उसे बनाया था। उलझी हुई थी जुलफें उसकी हमने उन्हें सुलझाया था मत पूछो एक कमरे में हमने कितना समय बिताया था । कभी धूल जमी थी उन अधरों पर हमने उसे हटाया था  इसी जगहा बिठाकर हमने उनको पेढा बहुत खिलाया था।  फिर जाना ही था एक दिन उस को किसने उसे ठहराया था  जब बारी उसकी आई थी तब हो गई वो पराई थी । ✍️ सोमवीर सिहं  💞💞